Class 12 Sahityik Hindi Previous Year Question Paper 2024 Download PDF || Set 3 – 301 (DC) – कक्षा 12 साहित्यिक हिंदी पुराने प्रश्न पत्र 2024 की पीडीऍफ़

यूपी बोर्ड कक्षा 12 साहित्यिक हिंदी पुराने प्रश्न पत्र 2024 की पीडीऍफ़ – UP Board Class 12 Sahityik Hindi Previous Year Question Paper 2024 Download PDF [Set 3 – 301 (DC)]

UP Board Class 12 Sahityik Hindi Previous Year Question Paper 2024 Download PDF [Set 3- 301 (DC)] – यूपी बोर्ड कक्षा 12 साहित्यिक हिंदी पुराने प्रश्न पत्र 2024 की पीडीऍफ़ 2024-25 New Model Paper PDF sample Paper 2024-25. Class 12 Sahityik Hindi Previous Year Question Paper 2024 Download PDF || Set 3 – 301 (DC). Class 12 Sahityik Hindi Model Paper 2024 – UP Board Newly Updated Syllabus Question Paper 2024 session 2023-24 -UPMSP- Based on New pattern of Up Board.

Class 12 Topic Previous Year Question Paper 
Board UP Board (UPMSP) Exam Year2025
StateUttar Pradesh यूपी बोर्ड आधिकारिक वेबसाइट UPMSP.EDU.IN
Exam Session 2024-25 Download PDF Click Here

कक्षा 12 साहित्यक हिंदी प्रश्नपत्र  यूपी बोर्ड परीक्षा  2024

समय 3:15 hr.पूर्णांक 100
प्रक्टिकल नहीं पासिंग मार्क 33.33%

नोट : (i)  प्रारम्भ के 15 मिनट परीक्षार्थियों को प्रश्न-पत्र पढ़ने के लिए निर्धारित हैं।

       (ii)  इस प्रश्न-पत्र में दो खण्ड हैं। दोनों खण्डों के सभी प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य हैं।

  1. (क) हिन्दी गद्य-साहित्य में शुक्लयुगकी समय-सीमा है:

(i) सन् 1900 ई. से सन् 1920 ई. तक

(ii) सन् 1915 ई. से सन् 1935 ई. तक

(iii) सन् 1918 ई. से सन् 1938 ई. तक✔

(iv) सन् 1920 ई. से सन् 1939 ई. तक

(ख)    निम्नलिखित में से कहानीकार और उनके द्वारा लिखित कहानी का गलत युग्म है:

(i) इंशाअल्लाह खाँ- ‘रानी केतकी की कहानी’

(ii) रामचन्द्र शुक्ल ‘ग्यारह वर्ष का समय’

(iii) माधव राव सप्रे ‘एक टोकरी भर मिट्टी’

(iv) शिवप्रसाद सिंह ‘ज़िंदगी और जॉक’✔

(ग)     डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल द्वारा लिखित निबंध-संग्रह है :

(i). ‘कला और संस्कृति’✔

(ii) ‘साहित्य का श्रेय और प्रेय’

(iii) ‘विचार और वितर्क’

(iv) ‘तुलसीदास चंदन घिसें’

(घ)     कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकरद्वारा लिखित संस्मरणविधा की रचना है:

(i) ‘भूले-बिसरे चेहरे’

(ii) ‘क्षण बोले कण मुस्काए’

(iii) ‘धरती के फूल’

(iv) ‘दीप जले शंख बजे’✔

(ङ)     ‘वैचारिकी शोध और बोधकृति के रचनाकार हैं:

(i) डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी

(ii) प्रो. जी. सुंदर रेड्डी✔

(iii) जैनेन्द्र कुमार

(iv) हरिशंकर परसाई

  1. (क) भवानीप्रसाद मिश्रनिम्नलिखित में से किस सप्तकमें संकलित हैं?

(i) ‘तारसप्तक’ में

(ii) ‘दूसरा सप्तक’ में✔

(iii) ‘तीसरा सप्तक’ में

(iv) ‘चौथा सप्तक’ में

 (ख)    कौन-सा काव्यान्दोलन स्थूल के प्रति सूक्ष्म का विद्रोहहै?

(i) ‘छायावाद’✔

(ii) ‘प्रगतिवाद’

(iii) ‘प्रयोगवाद’

(iv) ‘समकालीन कविता’

(ग)     ‘बीती विभावरी जाग रीकविता प्रसादजी की किस कृति में संकलित है?

(i) ‘स्कन्दगुप्त’ में

(ii) ‘चन्द्रगुप्त’ में

(iii) ‘लहर’ में✔

(iv) ‘आँसू’ में

(घ)     निम्नलिखित में से किस कवि को ज्ञानपीठ पुरस्कारनहीं मिला है?

(i) ‘सुमित्रानन्दन पंत’ को

(ii) ‘रामधारी सिंह दिनकर’ को

(iii) ‘महादेवी वर्मा’ को

(iv) ‘गजानन माधव मुक्तिबोध’ को✔

(ङ)     निम्नलिखित में से कौन-सी अज्ञेयकी काव्यकृति नहीं है?

(i) ‘इन्द्रधनु रौंद हुए ये’

(ii) ‘ऐसा कोई घर आपने देखा है’

(iii) ‘कला और बूढ़ा चाँद’✔

(iv) ‘आँगन के पार द्वार

  1. निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

धरती माता की कोख में जो अमूल्य निधियों भरी हैं, जिनके कारण वह वसुन्धरा कहलाती है उससे कौन परिचित न होना चाहेगा ? लाखों-करोड़ों वर्षों से अनेक प्रकार की धातुओं को पृथ्वी के गर्भ में पोषण मिला है । दिन-रात बहनेवाली नदियों ने पहाडों को पीस-पीस कर अगणित प्रकार की मिट्टियों से पृथ्वी की देह को सजाया है। हमारे भाबी आर्थिक अभ्युदय के लिए इन सबकी जाँच पड़ताल अत्यन्त आवश्यक है। पृथ्वी की गोद में जन्म लेने वाले जड़-पत्थर कुशल शिल्पियों से सँवारे जाने पर अत्यन्त सौन्दर्य का प्रतीक बन जाते हैं।

(क) धरती वसुन्धरा क्यों कहलाती है?

(ख) पृथ्वी की देह को किसने और किस तरह सजाया है?

(ग) अगणितंऔर अभ्युदयशब्दों का अर्थ लिखिए ।

(घ) उपर्युक्त गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।

(ङ) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।

अथवा

हमारी सम्पूर्ण व्यवस्था का केन्द्र मानव होना चाहिए जो ‘यत् पिण्डे तद् ब्रह्मांडे’ के न्याय के अनुसार समष्टि का जीवमान   प्रतिनिधि एवं उसका उपकरण है। भौतिक उपकरण मानव के सुख के साधन हैं, साध्य नहीं। जिस व्यवस्था में  भिन्नरुचिलोक का विचार केवल एक औसत मानव से अथवा शरीर-मन-बुद्धि-आत्त्मायुक्त अनेक एषणाओं से प्रेरित  पुरुषार्थचतुष्टयशील, पूर्ण मानव के स्थान पर एकांगी मानव का ही विचार किया जाए, वह अधूरी है। हमारा आधार  एकात्म मानव है जो अनेक एकात्म समष्टियों का एक साथ प्रतिनिधित्व करने की क्षमता रखता है। एकात्म मानववाद (Integral Humanism) के आधार पर हमें जीवन की सभी व्यवस्थाओं का विकास करना होगा।

(क) मानव के सुख के साधन क्या हैं?

(ख) जीवन की सभी व्यवस्थाओं का विकास किस आधार पर करना चाहिए?

(ग) समष्टितथा एषणाशब्दों का अर्थ लिखिए।

(घ) उपर्युक्त गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।

(ङ) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।

  1. निम्नलिखित पद्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:

कान्ह-दूत कैर्धी ब्रह्म-दूत है पधारे आप, धारे प्रन फेरन की मति ब्रजबारी की

कहें ‘रत्नाकर’ पै प्रीति-रीति जानत ना, ठानत  अनीति आनि रीति ले अनारी की ।।

मान्यौ हम, कान्ह ब्रह्म एक ही, कहह्यी जो तुम, तोहूँ हमें भावति न भावना अन्यारी की।

जैहै बनि बिगरि न बारिधिता बारिधि की, बूंदता बिलैहै बूँद बिबस बिचारी की ।।

(क) उपर्युक्त पद्यांश के पाठ और रचयिता का नाम लिखिए।

(ख) गोपियों ने किसे और क्यों अनारीकहा है?

(ग) अनीतिऔर भावतिशब्दों का अर्थ लिखिए।

(घ) कान्ह-दूत कैर्धी ब्रह्म-दूत है पधारे आपपंक्ति में कौन-सा अलंकार प्रयुक्त है?

(ङ) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।

अथवा

मैं कब कहता हूँ जग मेरी दुर्धर गति के अनुकूल बने,

मैं कब कहता हूँ जीवन-मरु नंदन-कानन का फूल बने ?

काँटा कठोर है तीखा है, उसमें उसकी मर्यादा है,

मैं कब कहता हूँ वह घटकर प्रांतर का ओछा फूल बने ?

मैं कब कहता हूँ मुझे युद्ध में कहीं न तीखी चोट मिले ?

मैं कब कहता हूँ प्यार करूँ तो मुझे प्राप्ति की ओट मिले ?

(क) उपर्युक्त पद्यांश के पाठ और रचयिता का नाम लिखिए।

(ख) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।

(ग) दुर्धरऔर प्रांतरशब्द का अर्थ लिखिए।

(घ) जीवन-मरु नंदन-कानन का फूल बनेमें कौन-सा अलंकार प्रयुक्त है?

(ङ) “मैं कब कहता हूँ प्यार करू तो मुझे प्राप्ति की ओट मिले?’ – इसका तात्पर्य स्पष्ट कीजिए ।

  1. (क) निम्नलिखित में से किसी एक लेखक का जीवन-परिचय देते हुए उनकी भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए: (अधिकतम शब्द-सीमा 80 शब्द)

(ⅰ) डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल

(ii) डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम

(iii) श्री हरिशंकर परसाई

(ख) निम्नलिखित में से किसी एक कवि का जीवन-परिचय देते हुए उनकी कृतियों पर प्रकाश डालिए: (अधिकतम शब्द- सीमा 80 शब्द)

(i) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र

(ii) जयशंकर प्रसाद

(iii) महादेवी वर्मा

  1. बहादुरकहानी के आधार पर बहादुरका चरित्र-चित्रण कीजिए।(अधिकतम शब्द-सीमा 80 शब्द)

अथवा

पंचलाइटअथवा खून का रिश्ताकहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए । (अधिकतम शब्द-सीमा 80 शब्द)

  1. स्वपठित खण्डकाव्य के आधार पर किसी एक खण्डकाव्य के एक प्रश्न का उत्तर लिखिए: (अधिकतम शब्द-सीमा 80 शब्द)

(क) रश्मिरथीखण्डकाव्य के आधार पर कर्णका चरित्र-चित्रण कीजिए ।

                                अथवा

रश्मिरथीखण्डकाव्य के तृतीय सर्गकी घटना का उल्लेख कीजिए ।

(ख) त्यागपथीखण्डकाव्य के आधार पर हर्षवर्धनका चरित्रांकन कीजिए ।

                                अथवा

त्यागपथीखण्डकाव्य की विशेषताएँ लिखिए ।

(ग) श्रवणकुमारखण्डकाव्य के आधार पर दशरथका चरित्र-चित्रण कीजिए ।

                                अथवा

श्रवणकुमारखण्डकाव्य की प्रमुख घटनाओं का उल्लेख कीजिए ।

(घ) मुक्तियज्ञखण्डकाव्य की विशेषताएँ लिखिए ।

अथवा

मुक्तियज्ञखण्डकाव्य के आधार पर महात्मा गाँधीका चरित्रांकन कीजिए ।

(ङ) सत्य की जीतखण्डकाव्य के आधार पर द्रौपदीकी चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए ।

अथवा

सत्य की जीतखण्डकाव्य की विशेषताएँ लिखिए ।

(च) आलोकवृत्तखण्डकाव्य के आधार पर महात्मा गाँधीका चरित्र-चित्रण कीजिए।

अथवा

आलोकवृत्तखण्डकाव्य की प्रमुख घटनाओं का वर्णन कीजिए ।

खण्ड ख

  1. () निम्नलिखित संस्कृत गद्यांशों में से किसी एक का सन्दर्भ-सहित हिन्दी में अनुवाद कीजिए:

संस्कृतस्य साहित्यं सरसं, व्याकरणञ्च सुनिश्चितम् । तस्य गधे पद्ये च लालित्यं, भावबोधसामर्थ्यम्, अद्वितीयं श्रुतिमाधुर्यञ्च वर्तते। किं बहुना चरित्रनिर्माणार्थ यादृशी सत्प्रेरणां संस्कृतवाङ्मयं ददाति न तादृशीं किञ्चिदन्यत् । मूलभूतानां मानवीयगुणानां यादृशी विवेचना संस्कृतसाहित्ये वर्तते, नान्यत्र तादृशी । दया, दानं, शौचम्, औदार्यम्,अनसूया, क्षमा, अन्ये चानेके गुणाः अस्य साहित्यस्य अनुशीलेन सञ्जायन्ते।

अथवा

गुरुणा एवम् आज्ञप्तः महर्षिदयानन्दः एतद्देशवासिनो जनान् उद्धर्तुं कर्मक्षेत्रेऽवतारत् । सर्वप्रथमं हरिद्वारे कुम्भपर्वणि भागीरथीतटे पाखण्डखण्डिनीं पताकामस्थापयत् । ततश्च हिमाद्रिं गत्वा त्रीणि ऋग्यजुस्सामाथर्वाणो वेदा नित्या वर्षाणि तपः अतप्यत । तदनन्तरमयं प्रतिपादितवान् ईश्वरकर्तृकाश्च ब्राह्मण-क्षत्रिय वैश्य शूद्राणां गुणकर्मस्वभावैः विभागः न तु जन्मना, चत्वार एव आश्रमाः, ईश्वरः एक एव, ब्रह्म-पितृ-देवातिथि-बलि-वैश्वदेवाः पञ्च महायज्ञाः नित्यं करणीयाः । ‘स्त्रीशूद्री वेदं नाधीयाताम्’ अस्य वाक्यस्य असारतां प्रतिपाद्य सर्वेषां वेदाध्ययनाधिकारं व्यवस्थापयत् ।

(ख) निम्नलिखित संस्कृत पद्यांशों में से किसी एक का सन्दर्भ-सहित हिन्दी में अनुवाद कीजिए:

ज्ञाने मौनं क्षमा शक्तौ त्यागे श्लाघाविपर्ययः ।

गुणा गुणानुबन्धित्वात् तस्य सप्रसवा इव ।।

अथवा

न चौरहार्यं न च राजहार्यं न भ्रातृभाज्यं न च भारकारि ।

व्यये कृते वर्द्धत एव नित्यं विद्याधनं सर्वधनं प्रधानम् ।।

  1. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर संस्कृत में दीजिए

(क) कात्यायनी कस्य पत्नी आसीत्?

(ख) हंसराजः स्वदुहितरं कस्मै अददात्?

(ग) हिन्दूविश्वविद्यालयस्य संस्थापकः कः आसीत्?

(घ) बुद्धस्य पञ्चशीलसिद्धान्ताः के सन्ति?

  1. () ‘संयोग श्रृंगारअथवा करुणरस की परिभाषा लिखकर एक उदाहरण दीजिए।

(ख) रूपकअथवा अनन्वयअलंकार की परिभाषा लिखकर एक उदाहरण दीजिए।

(ग) चौपाईअथवा हरिगीतिकाछन्द की सोदाहरण परिभाषा लिखिए।

  1. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर निबन्ध लिखिए:

(क) भविष्य-निर्माण में विद्यार्थी-जीवन का महत्त्व

(ख) दहेज प्रथा: एक अभिशाप

(ग) गोस्वामी तुलसीदास की प्रासंगिकता

(घ) देशाटन से लाभ

(ङ) ग्राम्य विकास में मनरेगा की भूमिका

12.(क) (i) ‘चयनम्का सन्धि-विच्छेद है:

(अ) चय + नम्

(ब) च + अयनम्

(स) चे + अनम्✔

(द) चयन + अम्

(ii) ‘निश्छलःका सन्धि-विच्छेद है।

(अ) निस् + छलः✔

(ब) निश् + छल:

(स) निश + छल:

(द) निर् + छल:

(iii) ‘अन्तर्राष्ट्रीयका सन्धि-विच्छेद है:

(अ) अन्तर + राष्ट्रीयः

(ब) अन्तः + राष्ट्रीयः✔

(स) अन्ता + राष्ट्रीयः

(द) अन्तर् + राष्ट्रीय

(ख) (i) ‘निर्विघ्नम्में समास है:

(अ) द्वन्द्व

(ब) बहुव्रीहि

(स) अव्ययीभाव✔

(द) कर्मधारय

() ‘दशाननःमें समास है:

(अ) बहुव्रीहि✔

(ब) कर्मधारय

(स) तत्पुरुष

(द) अव्ययीभाव

How To Download UP Board Exam Latest Model Paper 2025

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